Shri Guru Vandana Hindi
बन्दुऊ गुरु पद कंज कृपा सिन्धु नर रूप हरी महा मोह तम पुंज जासु बचन रवि कर निकर
बन्दुऊ गुरु पद परम परागा, सुरुचि सुबास सरस अनुरागा
अमिय मूरी मय चूरन चारू, समन सकल भव रुज परिवारू
सुकृति संभु तन विमल विभूति, मंजुल मंगल मोद प्रसूति
जन मन मंजु मुकुल मल हरनी, किये तिलक गुन गन बस करनी
श्री गुरु पद नख मणि गन ज्योति, सुमिरत दिव्य दृष्टि हिय होती
दलन मोह तम सो सप्रकासू, बड़े भाग उर आवहि जासु
उघरही बिमल बिलोचन ही के, मिटहि दोष गुन गन रजनी के
सूझहि राम चरित मणि मानिक, गुपुत प्रकट जह जो जेहि खानिक
जथा सुंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान, कौतुक देखही सैल बन भूतल भूरि निधान