Prem MeN Sarvasava Basta Hai
Hindi Translation of "It All Abides in Love". "महाराजी ने कम से कम 108 मंदिरों की स्थापना की, लाखों लोगों को भोजन करवाया, सरकार और कॉर्पोरेट के अग्रणी लोगों को सलाह दी, वे काम किये जिनको चमत्कार कहा जा सकता है, भारत व अमेरिका के वर्तमान समाज को प्रभावित कियाढ अनगिनत पीड़ित लोगों के जीवन में कृपा लाए, और ये सब करते हुए वे जनसाधारण की आखों से दूर रहे।" नीलम बोहरा सिंह व उर्वशी भाटिया द्वारा हिन्दी में अनुवादित।


महाराजजी ने सभी सिद्धियों को प्रदर्शित किया

"सिद्धियाँ ध्यान और योग जैसी साधनाओं (आध्यात्मिक साधनाओं) से अर्जित की गई आध्यात्मिक, मायावी, अधिसामान्य, अपसामान्य, या अलौकिक शक्तियाँ हैं। वे लोग जिन्होंने इस स्थिति को साध लिया वे औपचारिक रूप से सिद्ध कहलाते हैं। हिन्दुत्व में आठ सिद्धियाँ (अष्ट सिद्धि) ज्ञात हैं। अणिमाः अपने शरीर को सूक्ष्म बनाकर एक अणु के आकार में परिवर्तित हो जाना, महिमाः अपने शरीर को विस्तार देकर विशालकाय रूप ले लेना, गरिमाः अपने शरीर को जितना चाहे उतना भारी बना लेना, लघिमाः स्वयं को हल्का बनाकर लगभग भारहीन बना लेना, प्राप्तिः अबाधित रूप से सभी स्थानों में अभिगमन करना, प्राकाम्यः मनुष्य जिस वस्तु की इच्छा करे उसे पाने में सफल होना, ईशित्वः समस्त प्रभुत्व व अधिकार प्राप्त करने में सक्षम होना, वशित्वः जड़, चेतन, जीव-जन्तु, पदार्थ प्रकृति सभी को अपने वश में कर लेने की शक्ति।"

महाराजजी "हम" जैसे नहीं थे

महाराजजी "हम" जैसे नहीं थे l महाराजजी हमारी तरह नहीं सोचते थे l महाराजजी हमारी तरह बर्ताव नहीं किया करते थे l महाराजजी हमारी तरह प्रतिक्रिया नहीं करते थे l जिस तरह हम चीज़ें करते हैं, महाराजजी उस तरह चीज़ें नहीं किया करते थे l महाराजजी उस समय अंतरिक्ष सातत्य में नहीं थे जिसमें हम हैं l यह कहा जा सकता है कि महाराजजी मनुष्य नहीं थे/हैं l वह एक मानव शरीर रूप में अवतरित हुए जिसे हम नीम करौली बाबा के नाम से जानते हैं l उनके, हम सबकी तरह हाथ, पैर, आँख और कान थे l उनके श्रद्धेय और अतिप्रिय कमल चरण थे - कमलपद इसका क्या मतलब है? यह कैसे संभव है? यह लगभग समझ से बाहर है। यही महाराजजी हैं l  यही महाराजजी को गहरे अध्ययन और चिंतन के योग्य बनाता है ।  उनके प्रति अपनी समझ से प्रेम तथा भक्ति का झुकाव एक एहसास विकसित करने लगता है l

महाराजजी का अर्थ है प्रेम

यदि आप आंशिक रूप से  भी नीम करौली बाबा की कहानियों पर विश्वास करते हैं तो आप महसूस करेंगे कि महाराजजी आज भी उतने ही जीवित हैं जितने पहले कभी थे l  महाराजजी की कहानियों में जिनका वर्णन है उन्हें मृत्यु नहीं आ सकती । वे किसी न किसी शरीर में, हमेशा यहाँ पृथ्वी पर हैं l महाराजजी जीवात्मा हैं l मुझे यह कुछ वर्षों पहले बताया गया था कि महाराजजी 2000 से भी अधिक वर्षों से पृथ्वी पर हैं l जब उनका शरीर बूढ़ा हो जाता है तब वे इसे छोड़ देते हैं और  एक नया शरीर धारण कर लेते हैं l

महाराजजी ने एक बार कहा था, "शरीर तो ख़त्म होगा ही l”  उषा बहादुर ने वर्णन किया है कि - शरीर छोडने से कुछ समय पहले महाराज जी ने ऊषा बहादुर से कहा,  "जल्द ही मुझे एक नया शरीर मिल जायेगा l यह शरीर बहुत बूढ़ा हो चुका l” उषा हँस पड़ीं l  उन्होंने बताया कि उन्हें ऐसा कभी नहीं लगा  कि महाराजजी वास्तव में ही शरीर छोड़ देंगे l

सिर्फ इसलिए कि आप महाराजजी को देख नहीं सकते इसका अर्थ यह नहीं है कि महाराजजी हैं नहीं l जिन लोगों के लिए महाराजजी उनके गुरु हैं, उन लोगों ने हमेशा उन्हें महसूस किया है l एक बार जब वे आपका हाथ पकड़ लेते हैं तो वे हमेशा आपके साथ रहते हैं l यदि किसी भी समय आप उन्हें महसूस नहीं करते तो बस शांत हो जाइए, अपने मन को बिलकुल शांत कर लीजिये, सभी गतिविधियों को रोक दीजिये, अपने आप को अपने दिन के भ्रम से बाहर खींचिए, उन्हें खुले मन से महसूस कीजिये और आप पाएँगे कि वे यहीं हैं l