महाराजजी ने सभी सिद्धियों को प्रदर्शित किया

"सिद्धियाँ ध्यान और योग जैसी साधनाओं (आध्यात्मिक साधनाओं) से अर्जित की गई आध्यात्मिक, मायावी, अधिसामान्य, अपसामान्य, या अलौकिक शक्तियाँ हैं। वे लोग जिन्होंने इस स्थिति को साध लिया वे औपचारिक रूप से सिद्ध कहलाते हैं। हिन्दुत्व में आठ सिद्धियाँ (अष्ट सिद्धि) ज्ञात हैं। अणिमाः अपने शरीर को सूक्ष्म बनाकर एक अणु के आकार में परिवर्तित हो जाना, महिमाः अपने शरीर को विस्तार देकर विशालकाय रूप ले लेना, गरिमाः अपने शरीर को जितना चाहे उतना भारी बना लेना, लघिमाः स्वयं को हल्का बनाकर लगभग भारहीन बना लेना, प्राप्तिः अबाधित रूप से सभी स्थानों में अभिगमन करना, प्राकाम्यः मनुष्य जिस वस्तु की इच्छा करे उसे पाने में सफल होना, ईशित्वः समस्त प्रभुत्व व अधिकार प्राप्त करने में सक्षम होना, वशित्वः जड़, चेतन, जीव-जन्तु, पदार्थ प्रकृति सभी को अपने वश में कर लेने की शक्ति।"

मूझे लगता है कि महाराजजी के सत्संग के सभी भक्तों में रहस्यमयी सिद्धियाँ विकसित हो गई हैं। वे कभी भी इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि तब वे शक्तियाँ लुप्त हो जाएँगी। तथापि, सिद्धियाँ तो हैं। महाराजजी ये हमें छोटे-बड़े तरीकों से  प्रदान करते रहते हैं। कभी-कभी वे अस्थाई होती हैं। कुछ को उपार्जित करना पड़ता है। कुछ "सर्वथा” उपहार होती हैं। कई सालों से मैंने देखा है कि महाराजजी के भक्तों के बीच इन सिद्धियों में एक असाधारण स्तर की दूरानुभूति (telepathy) है।