महाराजजी का अर्थ है प्रेम

यदि आप आंशिक रूप से  भी नीम करौली बाबा की कहानियों पर विश्वास करते हैं तो आप महसूस करेंगे कि महाराजजी आज भी उतने ही जीवित हैं जितने पहले कभी थे l  महाराजजी की कहानियों में जिनका वर्णन है उन्हें मृत्यु नहीं आ सकती । वे किसी न किसी शरीर में, हमेशा यहाँ पृथ्वी पर हैं l महाराजजी जीवात्मा हैं l मुझे यह कुछ वर्षों पहले बताया गया था कि महाराजजी 2000 से भी अधिक वर्षों से पृथ्वी पर हैं l जब उनका शरीर बूढ़ा हो जाता है तब वे इसे छोड़ देते हैं और  एक नया शरीर धारण कर लेते हैं l

महाराजजी ने एक बार कहा था, "शरीर तो ख़त्म होगा ही l”  उषा बहादुर ने वर्णन किया है कि - शरीर छोडने से कुछ समय पहले महाराज जी ने ऊषा बहादुर से कहा,  "जल्द ही मुझे एक नया शरीर मिल जायेगा l यह शरीर बहुत बूढ़ा हो चुका l” उषा हँस पड़ीं l  उन्होंने बताया कि उन्हें ऐसा कभी नहीं लगा  कि महाराजजी वास्तव में ही शरीर छोड़ देंगे l

सिर्फ इसलिए कि आप महाराजजी को देख नहीं सकते इसका अर्थ यह नहीं है कि महाराजजी हैं नहीं l जिन लोगों के लिए महाराजजी उनके गुरु हैं, उन लोगों ने हमेशा उन्हें महसूस किया है l एक बार जब वे आपका हाथ पकड़ लेते हैं तो वे हमेशा आपके साथ रहते हैं l यदि किसी भी समय आप उन्हें महसूस नहीं करते तो बस शांत हो जाइए, अपने मन को बिलकुल शांत कर लीजिये, सभी गतिविधियों को रोक दीजिये, अपने आप को अपने दिन के भ्रम से बाहर खींचिए, उन्हें खुले मन से महसूस कीजिये और आप पाएँगे कि वे यहीं हैं l

महाराजजी केवल एक व्यक्ति नहीं थे l महाराजजी एक ऊर्जा हैं, प्रेम तथा कल्याण की अविनाशी ऊर्जा l महाराजजी मानव जाति की सबसे बड़ी पहेली हैं l  ऐसा लगता है वे विभिन्न निकायों  में प्रकट होते हैं या वास्तव में विभिन्न युगों में एक ही शरीर में प्रकट होते हैं l  ऐसा भी कई बार देखा गया है कि  वे एक  ही  समय में अनेक स्थानों पर मौजूद हैं l  मैं एक बार कबीर दास और शिवाय बाबा के साथ महाराज जी के वृंदावन आश्रम 1**1** में पीछे  की  तरफ दूसरी मंजिल पर खड़ा था।  वे हँसे और कहने लगे, "यह बहुत अजीब बात है कि  महासमाधि मंदिर, उस स्थल पर बना है जहाँ महाराजजी के अंतिम ज्ञात शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था, जबकि इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि महाराजजी के अनेक शरीर थे l