Vinaya Chalisa Hindi
मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन I
करूं विनय कछु आपकी , हौं सब ही विधि दीन II
जै जै नीब करौरी बाबा I
कृपा करहु आवै सद्भावा II
कैसे मैं तव स्तुति बखानूँ I
नाम ग्राम कछु मैं नहिं जानूँ II
जापै कृपा दृष्टि तुम करहु I
रोग शोक दुःख दारिद हरहु II
तुम्हरौ रूप लोग नहिं जानै I
जापै कृपा करहु सोई भानैं II
करि दै अरपन सब तन मन धन I
पावै सुक्ख अलौकिक सोई जन II
दरस परस प्रभु जो तव करई I
सुख सम्पति तिनके घर भरई II
जै जै संत भक्त सुखदायक II
रिद्द्धि सिद्धि सब सम्पति दायक I
तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा I
विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा II
जै जै जै जै श्री भगवंता I
तुम हो साक्षात भगवंता II
कही विभीषण ने जो बानी I
परम सत्य करि अब मैं मानी II
बिनु हरि कृपा मिलहिं नहिं संता I
सो करि कृपा करहिं दुःख अंत II
सोई भरोस मेरे उर आयो I
जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो II
जो सुमिरै तुमको उर माहीं I
ताकी विपति नष्ट हवे जाहीं II
जै जै जै गुरुदेव हमारे I
सबहि भाँति हम भये तिहारे II
हम पर कृपा शीघ्र अब करहूं I
परम शांति दे दुःख सब हरहूं II
रोग शोक दुःख सब मिट जावे I
जपै राम रामहि को ध्यावें II
जा विधि होइ परम कल्याणा I
सोई सोई आप देहु वारदाना II
सबहि भाँति हरि ही को पूजें I
राग द्वेष द्वंदन सो जूझें II
करैं सदा संतन की सेवा I
तुम सब विधि सब लायक देवा II
सब कछु दै हमको निस्तारो I
भव सागर से पार उतारो II
मैं प्रभु शरण तिहारी आयो I
सब पुण्यं को फल है पायो II
जै जै जै गुरुदेव तुम्हारी I
बार बार जाऊं बलिहारी II
सर्वत्र सदा घर घर की जानो I
रूखो सूखो ही नित खानों II
भेष वस्त्र हैं सादा ऐसे I
जानेंनहिं कोउ साधू जैसे II
ऐसी है प्रभु रहनि तुम्हारी I
वाणी कहौ रहस्यमय भारी II
नास्तिक हूँ आस्तिक हवे जावें I
जब स्वामी चेटक दिखलावें II
सब ही धर्मनि के अनुयायी I
तुम्हें मनावें शीश झुकाई II
नहिं कोउ स्वारथ नहिं कोउ इच्छा I
वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा II
केहि विधि प्रभु मैं तुम्हें मनाऊँ I
जासों कृपा-प्रसाद तब पाऊँ II
साधु सुजन के तुम रखवारे I
भक्तन के हौ सदा सहारे II
दुष्टऊ शरण आनि जब परई I
पूरण इच्छा उनकी करई II
यह संतन करि सहज सुभाऊ I
सुनि आश्चर्य करइ जनि काऊ II
ऐसी करहु आप अब दाया I
निर्मल होइ जाइ मन और काया II
धर्म कर्म में रुचि होय जावै I
जो जन नित तव स्तुति गावै II
आवें सद्गुन तापे भारी I
सुख सम्पति सोई पावे सारी II
होइ तासु सब पूरन कामा I
अंत समय पावै विश्रामा II
चारि पदारथ है जग माहीं I
तव प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं II
त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी I
हरहु सकल मम विपदा भारी ii
धन्य धन्य बड़ भाग्य हमारो I
पावैं दरस परस तव न्यारो II
कर्महीन अरु बुद्धि विहीना I
तव प्रसाद कछु वर्णन कीना II
श्रद्धा के ये पुष्प कछु, चरनन धरे सम्हार I
कृपा-सिन्धु गुरुदेव तुम, करि लीजै स्वीकार II